Natasha

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तमस (उपन्यास) : भीष्म साहनी

नत्थू ने झट से मुड़कर देखा। तीन आदमी गली के मोड़ पर से सहसा प्रगट हो गए थे और नारे लगाने लगे थे। नत्थू को लगा जैसे गली के बीचोबीच खड़े वे गान-मंडली का रास्ता रोके खड़े हैं। इन तीन आदमियों में से एक के सिर पर रूमी टोपी थी और आँखों पर सुनहरे फ्रेम का चश्मा था। वह आदमी गली के बीचोबीच खड़ा मंडली को ललकारता हुआ-सा बोल रहा था, “कांग्रेस हिन्दुओं की जमात है। इसके साथ मुसलमानों का कोई वास्ता नहीं है!"

इसका जवाब मंडली की ओर से एक बड़ी उम्र के आदमी ने दिया, "कांग्रेस सबकी जमात है। हिन्दुओं की, सिखों की, मुसलमानों की। आप अच्छी तरह जानते हैं महमूद साहिब, आप भी पहले हमारे साथ ही थे।"

और उस वयोवृद्ध ने आगे बढ़कर रूमी टोपीवाले आदमी को बाँहों में भर लिया। मंडली में से कुछ लोग हँसने लगे। रूमी टोपीवाले ने अपने को बाँहों में से अलग करते हुए कहा, "यह सब हिन्दुओं की चालाकी है, बख्शीजी, हम सब जानते हैं। आप चाहें जो कहें, कांग्रेस हिन्दुओं की जमात है। कांग्रेस हिन्दुओं की जमात है और मुस्लिम लीम मुसलमानों की। कांग्रेस मुसलमानों की रहनुमाई नहीं कर सकती।"

दोनों मंडलियाँ एक-दूसरे के सामने खड़ी थीं। लोग बतिया भी रहे थे और एक-दूसरे पर चिल्ला भी रहे थे।

वयोवृद्ध कांग्रेसी कह रहा था, “वह देख लो, सिख भी हैं, हिन्दू भी हैं, मुसलमान भी हैं। वह अज़ीज़ सामने खड़ा है, हकीमजी खड़े हैं-"

“अज़ीज़ और हकीम हिन्दुओं के कुत्ते हैं। हमें हिन्दुओं से नफरत नहीं, इनके कुत्तों से नफरत है।" उसने इतने गुस्से से कहा कि कांग्रेस-मंडली के दोनों मुसलमान खिसिया गए।

“मौलाना आज़ाद क्या हिन्दू है या मुसलमान?" वयोवृद्ध ने कहा। "वह तो कांगेस का प्रेजिडंट है।"

"मौलाना आज़ाद हिन्दुओं का सबसे बड़ा कुत्ता है। गांधी के पीछे दुम हिलाता फिरता है, जैसे ये कुत्ते आपके पीछे दुम हिलाते फिरते हैं।"

इस पर वयोवृद्ध बड़े धीरज से बोले, “आज़ादी सबके लिए है। सारे हिन्दुस्तान के लिए है।"

"हिन्दुस्तान की आज़ादी हिन्दुओं के लिए होगी, आज़ाद पाकिस्तान में ही मुसलमान आज़ाद होंगे।"

तभी गान-मंडली में से एक दुबला-पतला सरदार, मैले-कुचैले कपड़े पहने और बगल में बेंत दाबे हुए आगे बढ़ आया, और चिल्लाकर बोला, “पाकिस्तान मेरी लाश पर!"

इस पर कांग्रेस-मंडली के लोग हँसने लगे।

“चुप ओए चुप!" किसी ने उसे चुप कराने को कहा। नत्थू को भी उसकी तीखी खरज आवाज़ सुनकर अटपटा लगा था। लोगों को हँसता देखकर उसने रामझ लिया कि यह कोई सनकी आदमी होगा।

पर वह बोले जा रहा था, “गांधीजी का फरमान है कि पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा, मैं भी पाकिस्तान नहीं बनने दूंगा।"

लोग फिर हँसने लगे।

"गुस्सा थूक दो, जरनैल।"

"बस, बस, जरनैल कभी चुप भी रहा कर!" बख्शीजी ने कहा।

इस पर जरनैल बिगड़ उठा, “मुझे कोई चुप नहीं करा सकता। मैं नेताजी सुभाष बोस की फौज़ का आदमी हूँ। मैं सबको जानता हूँ। आपको भी जानता हूँ..."

लोग हँसने लगे।

पर जब गान-मंडली आगे बढ़ने लगी तो रूमी टोपीवाले ने रास्ता रोक लिया, “आप इधर से मत जाइए, यह मुसलमानों का मुहल्ला है।"

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